डोना पौला का प्यार

मैं जब गोवा के मडगांव स्टेशन पर उतरा तो रात हो चुकी थीं। काफी अंधेरा था। गिनती के दो लोग ही दिखे। हमने स्टेशन से टैक्सी ली और होटल की ओर चल दिए। हम नौ लोग थे। दो ममेरे भाई, भाभियां, मामी जी, बहन और दो भतीजी मिनी और जिन्नी।
गोवा में बरसात का मौसम था। जब भी होटल से कहीं जाने की योजना होती अक्सर बारिश आ जाती। कभी धूप, कभी बारिश का खेल चलता रहा और हम उस खेल का पूरा मजा लेते रहे।
तीन दिन बीत चुके थे। तमाम समद्री किनारों पर हमारे कदमों के निशान थे़। हम भी यहां की मशहूर बाजार-हाट की भीड़ में शामिल हुए थे। चर्च-मिन्दरों में गए और गोवा के इतिहास को खंडरों-इमारतों में जाकर पढ़ा। इन अब हम तीन दिनों में गोवा हमको, हम गोवा को पहचानने लगे थे।
सभी शहर आधुनिक होने के कारण एक जैसे लगते हैं। हमने फैसला किया कि अपना अधिकांश समय समुद्र के किनारे ही बिताया जाए। गोवा की असल रौनक वहीं नजर आती। साहिलों पर भीड़ को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये कोई चर्चमिन्दर हो और सभी दर्शन के लिए यहां आए हो। ऊंची-ऊंची उठती लहरें, ठण्डी-ठण्डी हवाएं, रेत और रेत के किले बनाते लोग, साहिल से लौट कर जाता हुआ पानी अक्सर अपने साथ समुद्र की लाई हुई कोई निशानी छोड़ जाता। नहाते, दौड़ते, रेत में खेेलते लोग। यहां सभी कुछ सुन्दर था। साहिल पर बैठकर मैंने सोचा था ``एक दिन ये सब यादें बन कर रह जाएगीं।´´
कल हमने आधा दिन डोना पौला समुद्री किनारे पर बिताया। और किनारों से अलग ये किनारा मन में इस कदर बस गया है कि शायद अब कभी इसे और इसकी कहानी को भूल पाऊंगा। साधारण सा दिखने वाला समुद्र का ये किनारा अपने सीने में इश्क की एक दास्तान को दफन किए खामोश था। हमें मालूम चला कि इस समुद्र के किनारे को आशिको का स्वर्ग कहा जाता है। मेरे लिए ये जगह आशिकों की मज़ार थी। जहां आशिक मत्था टेेकने आते हैं। इससे पहले डोना पोला की कहानी से अनजान था। हमारे गाइड, जो कि हमारा ड्राइवर भी था, ने इस किनारे से सम्बंधित कहानी सुनाई। कहानी कहने का उसका अंदाज बहुत अच्छा लगा। डोनापौला- एक सच्ची प्रेम कहानी। उस दौर की बात है जब गोवा में पुर्तगालियों का शासन था। डोना पुर्तगाली गवर्नर डी मेनेजेस की लड़की थी। बेहद खूबसूरत और चंचल। वे अक्सर ढलती शाम समुद्र के किनारे घूमा करती। वहां उसकी मुलाकात एक गरीब मछुआरे से हुई। उनकी मुलाकात पहले दोस्ती में, फिर धीरे धीरे इश्क में तब्दील होती चली गई। जब इसकी भनक गवर्नर को लगी तो उसने इसका विरोध किया। लेकिन उनका प्यार समुद्र के किनारे मदमस्त लहरों और भावनाओें को उद्वेलित करती ठण्डी हवाओं के बीच पला-बढ़ा था। डोना और उसका प्रेमी, मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, को समझ चुके थे। आखिरकार गवर्नर के विरोध के चलते दोनों ने समुद्र में कूद कर जान दे दी। तभी से ये किनारा प्रेम का समर्पित है। प्रेम कहानी के इस दूखद अंत से पहले इसे किनारे को ओ-पिसकादो के नाम से जाना जाता था। जब कहानी खत्म हुई, सब खामोश थे।
गोवा की राजधानी पणजी से सात किलोमीटर दूर डोनापौला अपनी कहानी के कारण सबसे अलग जाना जाता है। ये किनारा एक पर्वत के दक्षिणी भाग से सटा हुआ है। मुझे ये पर्वत गवर्नर डी-मेनेजेस लगा। ये पर्वत गोवा की दो नदिया ज्वारी और मांडवी को मुहाने से अलग करता है। मुझे लगा कि ये नदिया डोना और उसका प्रमी हैं। पर्वत दोनो नदियों के बीच आज भी खड़ा है। ज्वारी और मांडवी, कभी तो होगा मिलन की आस पर, आज भी बहे जा रही हैं।
सभी कुछ ऊंचाई पर बने व्यू पॉइंट से समुद्र के आसपास का नज़ारा देख रहे थे। यहां विदेशियों की तादाद भी काफी थी। यहां-वहां प्रेमी जोड़ी नज़र आ रहे थे। सभी काफी खुश थे। लेकिन मेरे चेहरे पर एक खामोशी छायी रही। व्यू पॉइंट के किनारे पर खड़ा होकर, चट्टान से टकराती लहरों से उठने वाली आवाज को सुनने की कोशिश कर रहा था। शायद कहीं से कोई आवाज आए। उस जगह को पहचानने की कोशिश कर रहा था जहां वे कूदे होंगे। पास ही एक ऊंची चट्टान पर डोनापौला की मूर्ति स्थापित थी। मूर्ति को छूने के लिए लोग चट्टान पर चढ़े जा रहे थे। मुझे लगा कि मुर्तियां कुछ कहना चाहती हैं पर मैं सुन नही पा रहा था। शोर बहुत था। चट्टानों पर बड़े-बड़े केकड़े बैठे थे। मैं काफी देर तक उन केकड़ों को देखता रहा।
शाम हो चुकी थी। सुरज को पानी में उतरते हम सबने देख लिया था। सब वापस लौट रहे थे। हम भी लौटने लगे तो ख्याल आया कि चट्टान पर लगी डोना पौला की मूर्तियां तन्हाई मके क्या बाते करते होंगे?
गाड़ी में आकर बैठ गए। होटल की ओर लौटते वक्त, रास्ते में ड्राइवर ने बताया कि `एक दूजे के लिए´ फिल्म की अधिकांश सूटिंग यहीं पर की गई थी। मैं सोच रहा था कि फिर कभी मौका मिला तो अपने प्यार का यहां जरूर लाऊंगा।
रात सोने से पहले लगा कि शायद वो दोनों सपने में आएंगे। जब सुबह सोकर उठा तो मायूस था।
फ्रेंकलिन निगम

टिप्पणियाँ

  1. HMMM BAHUT ACHCHI STORY THI AUR BAHUT ACHCHA LIKHA HAI BHAI!!!
    KISI NE SACH HE KAHA HAI.....

    YE ISHQ NAHI AASAN,
    ITNA TO SAMAJH LIJIYE,
    EK AAG KA DARIYA HAI,
    AUR DOOB KE JANA HAI....

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