शनिवार, 6 जून 2009

जनाब... बदले बदले से नज़र आते हैं


15वीं लोकसभा बनने से लेकर अब तक कई चौका देने वाली बातें सामने आयी है। चुनावी नतीजों के बाद लालू से लेकर पासवान तक, माया से लेकर मुलायम तक, करात से लेकर आडवाणी तक अपनी अपनी गलतियों से सबक ले रहे हैं। चुनावों मे धूल चाटने वालों को अपनी चूक का अहसास हो गया है। इसलिए सभी गलतियों को सुधारने में लगे है। चौहदवीं लोकसभा में कार्रवाई के दौरानं तांडव मचाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार विपक्ष के चरित्र के बिल्कुल विपरित नज़र आ रही है।

इसका नज़ारा देखने को मिला 15वीं लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के तेवर देखकर। उनके तेवर वैसे नहीं थे जैसे अक्सर सरकार की नीतियों और योजनाअों पर बोलते हुए हुआ करते थे। इस बार वे या तो तारीफें करते सुने गए या फिर सलाह देते दिखे।आडवाणी ने आम चुनाव में कॉग्रेस की जीत को स्थिरता के लिए जनादेश करार देते हुए कहा कि सरकार को उसका काम करने देना चाहिए और विपक्ष अपना कर्तव्य निभायेगा। भारतीय जनता पार्टी और उसके कर्ताधर्ता आडवाणी को देर से इसका अहसास हुआ की 14वीं लोकसभा में विपक्ष ने हंगामें के सिवा अपनी भूमिका को असरदार तरीके से नहीं निभाया।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए आडवाणी ने कहा कि कॉग्रेस को जनादेश विकास सुशासन और पुख्ता सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मिला है। ये वो मुद्दे हैं जिनपर पिछली बार विपक्ष ने बात बात पर सरकार की टांग खींची थी। अब आडवाणी बोल रहे है कि है कि सरकार को अपना काम करने दीजिए। विपक्षी राजग और मेरी पार्टी अपना कर्तव्य निभायेगी। विपक्ष को अपना काम तब निभाना था जब जानते हुए भी उन्होंने लोकसभा में नोट उछलवा दिए थे। उस दौरान जितनी किरकिरी सरकार की हुई थी उतनी विपक्ष की भी हुई।

आडवाणी ने बहुत दमदार तरीक से कहा कि 1952 में उन्हें तीन सीटें मिली थी लेकिन 1998 और 1996 में वे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे। आज भी उनके पास सौ से उपर का आंकड़ा हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में अधिकांश समय विपक्ष में बैठकर ही बिताया है उन्हें याद रखना चाहिए कि विपक्ष इस बार भी कमज़ोर रहा तो 1952 की स्थिति की तरह अगले चुनावों मे 3 सीटों पर पहुंचने की संभावना फिर से बन जाएगी।

काबिले गौर है कि अपने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आडवाणी ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन और महिला साक्षरता मिशन, सर्वशिक्षा अभियान, नागरिकों को विशिष्ट पहचान पत्र देने, पूर्व सैनिकों के एक रैंक एक पेंशन और स्विस बैंक में जमा काले धन को वापस लाने की सरकार की घोषणाओं की तारीफ की। साथ ही आतंकवाद और विदेशी नीतियों पर सलाह भी दी।उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं का श्रेय लेने चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए और केंद्र या राज्य जो भी इसे करें उन्हें यह काम जारी रखना चाहिए। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना को पूरे देश में लागू करने की वकालत की।

आडवाणी के मुंह से सरकार की इतनी सारी तारीफें कुछ हज़म नहीं होती। लेकिन इसबार मिले जनादेश के चलते विपक्ष को होश आ गया है और वे अपनी सरकार के हर काम में टांग अड़ाने से बचना चाहता है। जब तक उचित ना हो वे सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोलेगा। ऐसे में संभव है ंकि इस बार लोकसभा की कार्रवाई सुचारू रूप से चले और शोर-शराबा कम देखने को मिले। भाजपा के साथ विपक्ष में बैठा वामदल में छाछ फूंक कर ही पीएगा।

3 टिप्‍पणियां:

  1. Very nice piece. Indeed, the opposition is sounding uncharacterstically quiet. But then, these are early days and its good to be dignified and supportive, specially for a person of the seniority and stature of Mr. Advani. But as time goes by, and government gets into the act, I am sure that vibrancy, energy, excitement and drama will return to the house - as has been happenning, at least since 1967.

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  2. भाई यही तो दिकत है सब जानते हुए भी जनता वोट डालने भी इसी पार्टी को चली जाती है , समस्या यह है की जनता को गुलाम रहने की आदत पड़ चुकी है अंग्रेजो को भगाया था आब गांधियों की गुलामी में रहने की आदत पड़ गई है ..... अब राहुल बाबा को शादी करनीहोगी वरना आने वाली पीडी जिसे गुलाम रहने की आदत पड़ी हुई ..उनको प्रधानमंत्री कहाँ से मिलेगा ......

    जय हिंद जय भारत

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