उदासी
मैंने सुना है..
वे हंसती थी
खिलखिलाती थी
और
खुले आसमान में
दूर तक उड़ जाती थी..
मैंने सुना है..
उसे किसी ने
कभी,
उदास नहीं देखा..
वे सन्नाटों में
और तन्हाई में भी
जिया करती थी..
लेकिन
उस रात
वे
चिखी-चिल्लायी,
तड़पी
और
फड़फड़ायी भी होगी..
और
एक सुबह
बदहवासी में
उसके चेहरे पर
उदासी पसर आयी..
उसके जिस्म पर
खरोंचे थी,
खरोंचे थी,
भय था,
ज़ख्म थे..
ज़ख्म थे..
मैंने सुना है
उसने कहा था
वो जीना चाहती है..
इसलिए
उसने ज़ोर-ज़ोर से,
सांसे लेने का प्रयास भी किया ..
वे उठ खड़ी होना चाहती थी
लेकिन लड़खड़ा गयी..
मैंने सुना है
वे जीते-जीते
उदास मर गयी..
29 दिसम्बर 2012
(16 दिसम्बर 2012 की रात, गैंगरेप की भुगतभोगी लड़की के
नाम.. )
खूबसूरत रचना,। सुन्दर एहसास .
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.