स्वयं
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सबसे मुश्किल था
अपने आप को
अपने से बांध कर रखना..
खुद को खुद से
छुपाके रखना..
और
आज जब मिला हूं,
अपने आप को
अपने से बांध कर रखना..
खुद को खुद से
छुपाके रखना..
और
आज जब मिला हूं,
जिंदगी के चौराहे पे
अपनी ही परछाई से..
कुछ बदला-सा
दिखने लगा है
चेहरा अपना..
अपनी ही परछाई से..
कुछ बदला-सा
दिखने लगा है
चेहरा अपना..
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पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (9) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !