इस ब्लॉग में मेरे अपने विचार है, कविताएं हैं, लेख है, तस्वीरे हैं और मैं हूं....
रविवार, 5 जनवरी 2020
तेरे निशां...
तुमको छुने के निशां,
किसी स्याही की तरह
अब भी मेरी अंगुलियों पर हैं..
तुमको पढ़ने की कोशिश
किसी किताब की माफिक
अब भी मुड़े हुए पन्नों पर है..
तुमकों चुमने की ख्वाहिश
किसी समंदर की लहरों की तरह
अब भी साहिल की रेतों पर है..
फ्रेंकलिन निगम
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