रविवार, 7 मार्च 2021

कुछ हुआ होगा

 वो जलता चराग यूं न भुझा होगा,

जरूर हवा का झोंका आया होगा।

वो यूंही न गिरा होगा राह में,

पत्थर से पांव टकराया होगा।

कांपते हाथों वाला वो बूढ़ा है मगर,

जिंदगी ने यूंही बूढ़ा न किया होगा।

(फ्रेंकलिन निगम)


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