इस ब्लॉग में मेरे अपने विचार है, कविताएं हैं, लेख है, तस्वीरे हैं और मैं हूं....
वो जलता चराग यूं न भुझा होगा,
जरूर हवा का झोंका आया होगा।
वो यूंही न गिरा होगा राह में,
पत्थर से पांव टकराया होगा।
कांपते हाथों वाला वो बूढ़ा है मगर,
जिंदगी ने यूंही बूढ़ा न किया होगा।
(फ्रेंकलिन निगम)
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