शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

डूब जाने दो मुझको अब...


डूब जाने दो मुझको अब,

न साहिल की है आस मुझे

न कश्ती का हैै कोई सहारा।

क्या होगा मर भी जाऊं मैं?

आंसू भी न बहाएगा अब कोई,

मातम भी न  होगा उसकी आंखो में।

जिस दिल में मोहब्बत नहीं,

जिसका दिल पसीजा नहीं,

जिसकी यादों में, जिसकी सांसों में,

किसी ओर के नाम की छाप है।

उसकी महफिल में अब हम न होंगे।

तेरी वो ख्वाहिश  पूरी हो, 

मेरी मौत की दुआ पूरी हो,

डूब जाने दो मुझको अब.






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