सोमवार, 9 मई 2022

उसने कहा

उसने
आंखों से आंखों में झांका,
आंसूओं का सैलाब देखा
और कहा
कितन भरे पड़े हो
तुम
 
उसने
हांथों में हाथों को थामा
कंपन को महसूस किया
और कहा
कितना तड़प रहे हो
तुम।
 
उसने
कुछ दूर तक चलना तय किया
कदमों की आहट को सुना
और कहा
कितना भटक रहे हो
तुम।
 
उसने
सीने से सीना मिलाकर
धड़कन को छुआ
और कहा
अंदर से मर गए हो
तुम।

फ्रेंकलिन निगम


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