सोमवार, 20 जून 2022

धूप

 सुबह-सुबह
नदी के
पानी में
धूप को
मुंह
धोते देखा है
 
सर्द में
ठिठुरी,
धूप को
आँगन में बिछी
खाट पर,
आराम
करते देखा है.
 
नीम के
नीचे,
धूप को,
परछाईं के
पैबंदो में,
छिपते देखा है
 
घर की
खिड़की से,
धूप को
छिपकर,
अंदर
झांकते देखा है
 
मैंने,
कई बार
धूप को,
मंदिर-मस्जिद की
चौखट पर,
सजदा
करते देखा है

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