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राहुल भईया के नाम खत

राहुल भईया प्रणाम,

सबसे पहले आपको बधाई! खबरों में छाए हुए हो। टीवी पर बोलते हुए देख मन बाग बाग हो जाता है। हमारे यहां हर कोई आपके गुणगान में लगा है। गांव-गांव, शहर-शहर में चचZे हो रहे हैं। मां कह रही थी कि आप युवाओं के नेता बन गए हैं।

बहुत खुशी होती ये सब सुनकर। पिछले पचास सालों में राजनीति का स्तर बहुत गिर गया है। साल दर साल राजनीति का मुखौटा बदलता रहा है - कभी गरीब के नाम पर तो कभी रोटी के नाम पर। कोई जात-पात की बात करता है तो कोई राम नाम की , किसी ने मंडल की राजनीति की तो किसी ने किसानों के नाम पर, वोट के लिए कभी आरक्षण का झांसा, कभी आतंकवाद का खौफ, और ना जाने कौन कौन से फंडों से सफेदपोश वोटों मांगतें हैं। इन्हीं के बीच से आपने युवाओं की राजनीति की शुरूआत कर दी। सुनने में तो बहुत अच्छा लगा है। आधी से ज्यादा आबादी हमारी युवा है। 15वीं लोकसभा के लिए इन्हींं युवाओं ने आपको वोट दिए। यहीं सोचकर आपसे संवाद करने का मन हुआ। सो खत लिखने बैठ गया।

पहिले ये बताईए कि बहिन कैसी है। अप्रैल की गर्मी में बहिन प्रियंका ने बड़ी दौड धूप की आपको जिताने के लिए। बहुत मेहनती है लड़की। ऐसी ही बहुत ही मेहनती युवा बहिनें और भी देश में है। अब आप जीतकर लोकसभा पहुंच गए है तो आप युवा बहिनों का ख्याल जरूर रखिएगा।

जब आप चुनावी रैलियों में व्यस्त थे, उन्हीं दिनों चचा रामलाल के बेटे की नौकरी चली गई। दो साल पहले ही लगी थी बेचारे की। इस साल वैिश्वक मंदी ने नौकरी छिन ली। ऐसे बहुत से बेचारे है जिनकी नौकरी चली गई। अब आपके कांधो पर ये जिम्मेदारी है कि बेरोजगार हुए युवाओं के लिए कुछ करें।

आप तो जानते ही है कि हर साल कितने युवा पढाई लिखाई कर नौकरी के लिए विदेश चले जाते हैं। ये अच्छी बात नहीं भईया। पढ़ाई लिखाई करके विदेश चले जाना। उन्हें रोकिए। कुछ तो कीजिए। आप तो युवा है सब समझते हैं कि घर छोड़के जाना कितना बुरा होता है।

भईया एक बात और। युवा सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेलते। दूसरे खेल भी खेले जाते हैं इस देश में। सारे खेलों में तो युवा ही भाग लेते है। भईया दूसरे खेलों केा बड़ा बुरा हाल है। कोई भी इन युवाओं खिलाड़ियों में दिलचस्पी नहीं लेता। बेचारे खेलते खेलते बूढ़े हो जाएंगे। आप युवा है उनका दर्द समझ सकते है। जरूर कुछ ना कुछ उनके बारे में सोचिएगा।

राहुल भईया 2004 से 2009 के बीच आपने खुब चक्कर काटे गांव गांव के। अब आप सरकार चलवाने में व्यस्त हो जाएगें। लेकिन जब भी वक्त मिले तो गांव जरूर जाईगा। अपने विरोधियों को बोलने का मौका मत दीजिएगा।

यू नो भईया। मेरी मां को बहुत भरोसा है। कहती है कि एक दिन राहुल देश का प्रधानमंत्री बनेगा। ऐसी ही बहुत सी मांओं की दुआएं आपके साथ है।

आखिर में ! माता को प्रणाम कहिएगा और आपके खत का भी इंतजार रहेगा।

आपका युवा भाई
फ्रेंकलिन निगम

टिप्पणियाँ

  1. स्मृतियों को थोड़ा चमकाएँ.
    आशा सरिता में इतने गोते भी न लगाएँ. चुनाव समाप्त हो गए. असली रंग तो अब देखने को मिलेंगे.

    सरल, सरस और सुबोध लिखा है आप ने. इस के लिए बधाई

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