इस ब्लॉग में मेरे अपने विचार है, कविताएं हैं, लेख है, तस्वीरे हैं और मैं हूं....
शुक्रवार, 30 जून 2023
अक्सर...
अक्सर थोड़ा-सा ठहरना चाहता हूं, अपने साथ वक्त गुज़ारना चाहता हूं। गहरी खामोशी में डूबे दिल से, किनारे पर थोड़ा बतियाना चाहता हूं। खुद को एकांत में ढालने के लिए, कुम्हार की माटी से गुथना चाहता हूं। चुपचाप आसमान में उड़ते हुए, बादलों में एक चेहरा उकेरना चाहता हूं। बहार के बिखरे-बिखरे रंगों से अपनी रूह को मिलाना चाहता हूं। चलते-चलते उस मुसाफिर की तरह,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें